थांदला। विजयदशमी पर्व उत्सव, पराक्रम और शौर्य का प्रतीक है। यह शक्ति की उपासना का पर्व है। भारत देश सदियों से पराक्रमी होने के बाद भी गुलाम क्यों हुआ। क्योंकि हमने शक्ति की उपासना करना छोड़ दिया। अपना आत्मभाव स्व को भुला दिया।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख कालूसिंह चरपोटा ने बेडवा में आयोजित पथ संचलन कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि गुलामी की वेदना ने डॉ. हेडगेवार के मन में देश की स्वतंत्रता एवं उसके बाद हिंदू समाज को संगठित करने, अनुशासित करने का संकल्प लेकर 1925 में विजयदशमी के दिन संघ की स्थापना की थी। प्रारंभ में संघ का उपहास उड़ाया गया। लेकिन सतत कार्य के आधार पर निरंतर प्रगति के पथ पर संघ अग्रसर रहा। संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगे लेकिन संघ का स्वयंसेवक तटस्थ रहा।
वक्ता कालूसिंह चरपोटा ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि 100 वर्ष की संघ यात्रा में व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र का निर्माण करना है। उन्होंने स्वयं सेवकों से आह्वान किया कि प्रत्येक कार्यकर्ता को अपने परिवार में पांच परिवर्तन का पालन करना है।
कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रांत सह प्रचारक केतन सोत्री, रतलाम विभाग प्रचारक कृष्णकांत पांडे, रतलाम विभाग पर्यावरण संयोजक भूषण भट्ट, जिला प्रचारक रजत चौहान आदि उपस्थित रहे। मंच पर सामाजिक कार्यकर्ता भूडा मेड़ा, खंड कार्यवाहक चंद्रेश प्रजापत उपस्थित थे।
आपको बता दे की थांदला खंड के बेडवा मंडल में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा पथ संचलन निकाला गया। इस दौरान तेज आंधी और बारिश भी हुई। लेकिन स्वयं सेवकों ने पूर्ण रूप से अनुशासित पथ संचलन निकाला। इस संचालन में बड़ी संख्या में किशोर, तरुण और वरिष्ठ स्वयंसेवक शामिल हुए थे।



