सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। विश्व के सबसे लोकप्रिय अर्थशास्त्री और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह का जाना आम व्यक्ति से लेकर खास व्यक्ति को भी भावुक कर गया। उनके निधन से काँग्रेस ( तत्कालीन काग्रेस सरकार ) के सामने विपक्ष की भूमिका में रहने वाली भाजपा भी शोक, संवेदना और श्रद्धांजलि में डूबी दिखाई दी। कांग्रेस के लिए संजीवनी कहे जाने वाले सिंह के निधन पर जहा राजकीय शोक मनाया गया। वही देश की क्रिकेट टीम ने शोक स्वरूप मैच में काली पट्टी अपने बाजू पर पहन रखी रखी थी। इसके अलावा शोक स्वरूप देश में कई जगह श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुए।
लेकिन 30 दिसंबर को 6 दिन बीत जाने के बाद भी थांदला में कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की याद तक नहीं आई। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देना भी उचित नहीं समझा। अब यह चर्चा थांदला के चौराहों तक पहुंच चुकी है।
वैसे भी थांदला में कांग्रेस संगठन मृतप्राय ही माना जा रहा है। क्योंकि बतौर विपक्ष थांदला में कई महत्वपूर्ण शासकीय संस्थाओं में अपनी मजबूत भूमिका निभाते हुए नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का ना होना इस बात को और भी बल दे रहा है।
हालांकि जिला मुख्यालय पर कांग्रेस द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई उनके कार्यों को याद किया गया लेकिन थांदला में कांग्रेस बतौर विपक्ष, बतौर पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देने में भी अपनी मौजूदगी का अहसास आम नागरिकों को नहीं करवा पा रही है।
कांग्रेस के जिम्मेदार और सच्चे सिपाहियों को इन बातों का जवाब तलाशना चाहिए। सवाल ये भी की क्या थांदला की काँग्रेस ये सच मे भूल गयी या फिर इसके लिए समय नही मिला।


