सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। मंगलवार को संत नगरी थांदला में एक और इतिहास बन गया। जहां एक और पूरे दिन बारिश रिकार्ड तोड़ते हुए अपना कहर बरपा रही थी। वहीं दूसरी ओर 64 सिद्धितपधारी तपस्वियों के ओज से कहर बरपाती तेज बारिश में पूरा नगर मानो ‘शेषनाग की मणी चमक’ रहा था। इस ओज रूपी मणी को हर कोई अपनी आंखों से निहारना चाह रहा था। इसके लिए तपस्वियों की जयकार यात्रा सुबह 9 बजे निकलना थी। लेकिन इंद्रदेव ऐसे बरसे मानो तपस्वियों के तप का पहला ‘अनुराग’ वही लेना चाहते हो। इधर आयोजकों का उत्साह भी कम होने का नाम नहीं ले रहा था। मंगलवार की देर शाम आयोजकों ने तप आराधकों के लिए जयकार यात्रा निकाली।

जयकर यात्रा नवीन कृषि उपज मंडी से प्रारंभ हुई। जिसमें 64 तपाराधकों के लिए सजी-धजी बगिया शामिल थीं। इनमें ससम्मान तपाराधकों को बैठाया गया। नगर के विभिन्न मार्गो से निकली जयकार यात्रा में कई श्रद्धालुओं ने सिद्धितप आराधकों का सम्मान भी किया। इधर जयकार यात्रा में शामिल श्रद्धालु तपस्वियों की जयकार करते हुए चल रह थे। जयकार यात्रा नगर के विभिन्न मार्गो से होती हुई, नगर के हृदय स्थल आजाद चौक पहुंची जहां पर औसत भवन में विराजित संयतमुनिजी मसा आदि ठाणा चार और निखिलशीलाजी मसा आदि ठाणा चार ने तपस्वियों को के लिए स्तवन और मांगलिक श्रवण करवाई।

मंगलवार की सुबह और शाम जैन समाज द्वारा स्वामीवात्सल्य का भी आयोजन रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन समाज के पदाधिकारी ने बताया कि संत नगरी थांदला में यह पहला अवसर था। जब एक साथ 64 सिद्धि तपआराधों ने तपस्या पूर्ण की। इधर वर्षावास हेतु विराजित संयतमुनिजी मसा आदि ठाणा और निखिलशीलाजी मसा आदि ठाणा के नेतृत्व में अन्य भी तपस्या में हो रही है। जयकर यात्रा में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और अन्य क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इधर मंगलवार को थांदला में साप्ताहिक हाटबाजार लगता है। ऐसे में पुलिस प्रशासन द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था को बखूबी संभाला गया। जिसके लिए श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन समाज द्वारा पुलिस प्रशासन का आभार माना गया।

*क्या है सिद्धि तप*
सिद्धितप में तप आराधक एक दिन उपवास, एक दिन पारणा, दो दिन उपवास एक दिन पारणा, तीन दिन उपवास एक दिन पारणा, चार दिन उपवास एक दिन पारणा, इस प्रकार बढ़ते क्रम में लगातार 8 दिनों तक उपवास करते हुए लगातार 8 उपवास करते हुए अंतिम दिन पारणा करते हैं। यह तपस्या 45 दिन चलती है। जिसे सिद्धि तप कहा गया है। संत समाज के अनुसार सिद्धि तप कठिन तपस्या में मानी जाती है।यह तपस्या करने वाले श्रावक श्राविकाएं अपने पुण्य उदय से अपने कर्म क्षय करते हुए अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।




