सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला विधानसभा सीट पर अब चुनावी हलचल तेज दिखाई देने लगी है। चुनावी मैदान में कुल 9 उम्मीदवार खड़े हैं। इनमें प्रमुख राजनीतिक पार्टी कांग्रेस और भाजपा सहित जयस समर्थित और अन्य दलों के नेता भी डटे हुए हैं।
सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए हर कोई प्रत्याशी अपने आप को दूसरे प्रत्याशियों से बेहतर बताने के प्रयास में है। मतदाताओं की बात करे तो सोशल मीडिया के सभी प्रचारों को देखकर बेहतर मतदान के लिए अपने आप को तैयार कर रहे है।
थांदला विधानसभा सीट पर
प्रायः 80% मतदान होने लगा है। मतदान का यह ट्रेंड बन रहा तो इस बार 2 लाख से अधिक मतदाता मतदान कर सकते हैं।
पिछले चार चुनावों के परिणामों को विश्लेषण के लिए रखें तो पाते हैं कि भाजपा, कांग्रेस को प्रभावी निर्दलीय प्रत्याशी के प्रति नाराजगी, सहानुभूति व तत्कालीन प्रमुख मुद्दे ऐसा त्रिकोण बनाते हैं। कि करीब 30 हजार से 35 हजार मत हवा के साथ इधर-उधर हो जाते हैं। बस यही मत जीत—हार के लिए निर्णयक बनते हैं।

प्रकारांतर से बात को इस तरह भी समझा जा सकता है। कि दोनों प्रमुख दलों के पास 80% मतदान की स्थिति में लगभग 60 हजार से 65 हजार मतों का स्थाई समर्थन तो प्राप्त है। लेकिन यह चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है।
यही कारण है कि यह जो 30 हजार 35 हजार मत जो की या तो सहानुभूति के कारण या नाराजगी के कारण प्राय इधर से उधर जाते हैं। व सीट का परिणाम निश्चित कर देते हैं।

यह ’नाराजगी’ या तो यह ’सहानुभूति’ मुख्य रूप से प्रत्याशी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। कभी यह सहानुभूति ही इस सीट पर मामा बालेश्वर दयाल का ब्रह्मास्त्र हुआ करती थी।
इस बार जो भी प्रत्याशी नाराजगी के दायरे से खुद को जितना दूर कर लेगा या मतदान कि सहानुभूति प्राप्त कर लेगा वह विजय के उतने ही करीब पहुंच सकता है।




