सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। 2023 विधानसभा चुनाव का वर्ष है। वर्ष के अंतिम महीनों में विधानसभा चुनाव और उसके परिणाम आने की संभावनाएं हैं। चुनावी समर को देखते हुए अंचल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सक्रिय होती दिख रही है। कही पार्टियां अंदरूनी रूप से सर्वे चलाकर विधायकों के दावेदारों की जमीनी हकीकत देख रही है। तो कहीं पार्टियों के बड़े पदाधिकारी कार्यकर्ताओं की बैठके ले रहे हैं। दोनों ही प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं की नजर ग्रामीण क्षेत्रों के एक-एक बूथ पर बन रही है। वही दोनों ही पार्टियों के राजनीतिक समीकरण जयस से उथल-पुथल हो रहे हैं। वैसे भी कांग्रेस और भाजपा पार्टियों की अंदरूनी कलह अब प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पहाड़ के रूप में उभर कर सामने आ रही है। ऐसे में पार्टी में प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में बैलेंस बनाकर पार्टी पदाधिकारी को विजय श्री दिलाना, किसी संजीवनी बूटी से लाने से कम नहीं होगा।
मुख्यमंत्री और कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन रहेंगे दौरे पर
राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आगामी चुनाव के मद्देनजर पूर्व लोकसभा सदस्य व राजीव गांधी पंचायत राज्य की अध्यक्ष मीनाक्षी नटराजन स्वयं 11 मई को थांदला आ रही है। इस दौरान वह समस्त कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगी। वही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बुधवार को आलीराजपुर जिले के दौरे पर है। इन आयोजनों का मूल उद्देश्य आगामी चुनाव के पहले चुनाव संबंधी दिशानिर्देश भी रहेंगे। इसके अलावा कांग्रेस के स्थानीय नेता अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो चुके हैं। बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सूची तैयार करने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं।
वहीं भाजपा अपनी परम्परागत तरीके से आईटी सेल, युवा सदस्यों और सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए चुनावी माहौल भाजपा के पक्ष में बनाने के लिए जुट गई है। इधर जयस अपने अलग ही अंदाज में जमीनी स्तर पर प्रचार करने में जुटा है। खबर है कि गत दिनों हुए प्रदेश स्तर नेताओं के विरोधाभास समाप्त हो चुके हैं।
चुनावी समर का रंग मतदाताओं में भी खासा दिखाई दे रहा है। चौराहों पर अब विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके कार्यों की चर्चाएं आम हो रही है। मतदाता अपने-अपने निजी विचारों से पार्टियों के हार-जीत की संभावनाएं बताने लगे हैं।
*कांग्रेस का पलड़ा रहा भारी*
पिछले जिले की विधानसभा चुनाव में तीनों सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा। झबुआ की सीट पर उपचुनाव हुए जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष भानु भूरिया को 27804 मतों से हराया था। पेटलावद से कांग्रेस के वालसिंह मेडा विजय रहे।
वही थांदला विधानसभा सीट पर वीरसिंह भूरिया ने 95720 मत हासिल किए। उन्होंने भाजपा के कलसिंह भाबर को 31,115 मतों से हराया। हालांकि इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप कटारा की अहम भूमिका रही। दिलीप कटारा भाजपा समर्थित माने जाते हैं। कटारा वर्तमान में सांसद प्रतिनिधि है। वही कलसिंह भाबर वर्तमान में भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं। पार्टी ने दोनों ही पदाधिकारियों को बड़े पदों से नवाजा है।
लेकिन वर्तमान में चुनावी परिदृश्य स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। मतदाता शुरुआती दौर होने के कारण मौन है। दावेदार टिकिट पाने की चाह में प्रदेश, केंद्र स्तर तक अपने आप को पार्टी के प्रति वफादार, समर्पित, जमीनी स्तर से जुड़ा हुआ बताने में लगे है।
प्रदेश स्तरीय नेता टिकिट वितरण के मंथन में सिर खपा रहे है।
तो आम मतदाता मैदानी स्तर पर होने वाले चुनाव प्रचार के शोरगुल, स्टार प्रचारकों की सभाएं, अपनी स्वयं की पूछपरख के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है।


