सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता लाने हेतु सीएम राइस विद्यालय की शुरुआत की गई है। लेकिन विद्यालय की शुरुआत होने से पहले ही कई पेचीदगियां सामने आ रही है। इनमें मुख्य रूप से सीएम राइस विद्यालय के स्टाफ से गैर शैक्षणिक कार्य संपन्न करवाया जाना शामिल है। वही सीएम राइस बनने वाले विद्यालयों में विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं और अन्य कार्यों को करवाया जा रहा है। इसे लेकर आयुक्त जनजाति कार्य मध्यप्रदेश द्वारा एक आदेश 20 जिलों के कलेक्टरों को जारी किया गया है।
जिसमें निर्देशित किया गया है कि सीएम राइस विद्यालय के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखा जाए। आदेश जारी होते ही थांदला की शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय, (आगामी सीएम राइस विद्यालय) की प्राचार्य ने अनुविभागीय अधिकारी को सीएम राइस स्कूल के अंतर्गत आने वाले 6 शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखने हेतु पत्र लिखा है।
इन शिक्षकों में महेंद्र उपाध्याय (प्राथमिक शिक्षक) वर्तमान में निर्वाचन कार्य, जयेंद्र शर्मा (उच्च श्रेणी शिक्षक), वर्तमान (बीएलओ), मनीष भाबर माध्यमिक शिक्षक वर्तमान (बीएलओ), प्रभु कटारा सहायक शिक्षक वर्तमान (बीएलओ), और सौरभ नागर प्राथमिक शिक्षक वर्तमान (बीएलओ) शामिल है।
आदेश में कौन-कौन से बिंदु किए हैं शामिल
आयुक्त जनजाति कार्य विभाग मध्यप्रदेश द्वारा 20 कलेक्टरों को दिए गए आदेश में
1. समस्त सीएम राइस विद्यालयों के भवन एवं परिसर का उपयोग पुस्तक वितरण, स्ट्रांग रूम एवं मूल्यांकन केंद्र के रूप में न किए जाने।
2. बोर्ड परीक्षाओं के परीक्षा केंद्र डीएलएड पूरक परीक्षा एवं अन्य बाह्य परीक्षाओं के लिए ना किए जाने।
3. स्कूल लीडर्स एवं स्टाफ को डीएलएड परीक्षा और अन्य परीक्षाओं के मूल्यांकन कार्य और अन्य कार्यों में संलग्न ना किए जाने
4. विद्यालयों के स्टाफ की ड्यूटी बीएलओ और अन्य कार्यों में ना लगाए जाने हेतु निर्देशित किया है।

इस संबंध में प्राचार्य सरिता ओझा का कहना है कि कलेक्टर से मिले निर्देश अनुसार अनुविभागीय अधिकारी को पत्र लिखकर गैर शैक्षणिक कार्य मे लगे 6 शिक्षकों को विद्यालय में भेजने की बात कही है। लेकिन वर्तमान तक इन शिक्षको को विद्यालय के लिए रिलीव नहीं किया गया है।
शासन अन्य विद्यालयों पर भी दे ध्यान
सीएम राइस विद्यालयों से हटकर भी अन्य शासकीय विद्यालयों के कई शिक्षक को शासन ने गैर शैक्षणिक कार्य में व्यस्त रखा है। शासन को चाहिए कि वह आगामी दिनों में आयोजित होने वाली परीक्षाओं को देखते हुए ऐसे शिक्षकों को शीघ्र ही मूल संस्था हेतु रिलीव किया जाए ताकि विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ ना हो।
इधर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण के नाम पर दौरे चल रहे हैं। लेकिन अधिकारियों को यह भी देखना चाहिए कि नगर के आसपास बने विद्यालयों में पदस्थ शिक्षक नियमित अध्यापन कार्य करवाने के लिए पहुंच रहे हैं या नहीं या नियत समय तक विद्यालय में रुकते भी हैं या नहीं। क्योंकि नगर के आसपास के विद्यालयों के कई शिक्षक पूरे दिन नगर में घूमते नजर आते हैं। इनमें से कई शिक्षक ‘नेतागिरी’ के दम पर तो कई शिक्षक ‘लक्ष्मीयंत्रों’ के दम पर शैक्षणिक कार्य करवाने के बजाय ‘फुकरेबाजी’ कर रहे हैं। वहीं कई शिक्षक बड़े ऑफिसों में अटैच होकर अपने आपको ‘स्वयंभू अधिकारी’ समझ बैठे हैं।



