सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। संतनगरी थांदला में संयतमुनिजी आदि ठाणा 4 व साध्वी निखिलशीलाजी आदि ठाणा 4 विराजित हैं। जिनके सानिध्य में मात्र 14 वर्ष की उम्र में आदिश जितेंद्र चौरड़िया ने निराहार रहते केवल गर्म जल के आधार पर कठोर मासक्षमण के तहत 31 उपवास की तपस्या पूर्ण की। इतनी कम उम्र में मासक्षमण तप करना यह परिवार के लिए ही नहीं अपितु जैन समाज एवं नगर के लिए भी गौरव का विषय है।

तपस्वी की निकली जयकार यात्रा
मासक्षमण की तपस्या पूर्ण होने पर तपस्वी के निवास से उनकी जयकार यात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं व बच्चें शामिल हुए जो भगवान महावीर स्वामी, आचार्यश्री, प्रर्वतकश्री, अणुवत्सश्री, साध्वी वृंद एवं तपस्वी की जय जयकार एवं गुरु गुणगान करते हुए चल रहे थे। सभी में जबर्दस्त उत्साह छलक रहा था। यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई पौषध भवन पर पहुंचकर बहुमान समारोह में परिवर्तित हो गई। यहाँ अणुवत्स संयतमुनिजी, आदित्यमुनिजी ने तप के महत्व पर प्रकाश डाला। साध्वी निखिलशीलाजी व साध्वी मंडल ने तपस्वी व तपस्वी के परिवार की अनुमोदना में स्तवन प्रस्तुत किया।
तप का बहुमान तप की बोली लगाकर किया
विभिन्न महानुभावों ने तपस्वी आदिश चौरड़िया का तप की बोली लगाकर श्रीसंघ की ओर से शॉल ओढ़ाकर, माला पहनाकर तपस्वी का बहुमान किया।


