सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां अंदरूनी खाने में साफ छवि और स्पष्ट बहुमत लाने वाले उम्मीदवारों की तलाश मानो किसी संजीवनी बूटी की तरह कर रही है।
बात अगर थांदला विधानसभा की करें। तो यहां कांग्रेस में कम। लेकिन भाजपा में उम्मीदवारों की फेहरिस्त काफी लंबी हो रही है। भाजपा की इस वेटिंग लिस्ट में पूर्व विधायक कलसिंह भाबर, मेघनगर क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता श्यामा ताहेड, युवा नेता और पार्टी के लिए विभिन्न पदों पर जमीनी स्तर पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके राजेश वसुनिया, पालवाड क्षेत्र के कद्दावर नेता दिलीप कटारा, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, पूर्व विधायक पुत्र संजय भाबर, सुनील पणदा जैसे कई दिग्गजों के नाम शामिल है।
‘राजेश’ का नाम क्यो निकलकर आ रहा है सामने
लेकिन इन दावेदारों में हिटलिस्ट की बात करें। तो पिछले कुछ दिनों से युवा नेता राजेश वसुनिया का नाम तेजी से उभरकर आ रहा है। क्योकि उनकी राजनीति जीवन की शुरुआत छात्र जीवन से हुई है। वसुनिया की बड़ी उपलब्धि के रूप में युवाओं में उनकी पकड़ को देखा जा रहा है। वर्ष 2002 में आयोजित हिंदू संगम में उदयगढ़ खंड में जमीनी स्तर से जुड़कर विभिन्न दायित्व को निभाया है। इस देशव्यापी कार्यक्रम में वसुनिया ने एक प्रचारक के रूप में हनुमानजी के लॉकेट और तस्वीर को पूरी श्रद्धा के साथ वितरित किया।
राजनीति के साथ धर्मों में भी रुचि होने के कारण 1998 में अपने ग्रहगांव नाहरपुरा खेजड़ा में आयोजित गणेश उत्सव में उन्होंने अपने धार्मिक कार्यों का श्रीगणेश कर दिया था। तब से लेकर अब तक वसुनिया सतत धार्मिक कार्यों में अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं। इन कार्यों में तेजाजी का नाटक हो या महाशिवरात्रि का भंडारा हो। चाहे हनुमानजी का जन्मोत्सव हो या कावड़ यात्रा सभी धार्मिक कार्यक्रमों में वे अपने चिर-परिचित अंदाज में भूमिका निभाते हैं।
वसुनिया का नाम किसी भी गुटबाजी में नही है शामिल
वही स्वयं राजेश वसुनिया की जमीनी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। युवाओं की एक बड़ी टीम हमेशा उनके नेतृत्व में कार्य करती है।
वसुनिया स्वयं भाजपा युवा मोर्चा मंडल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, भाजपा मंडल महामंत्री रह चुके हैं। वहीं वर्तमान में युवा मोर्चा के महामंत्री भी हैं। भाजपा युवा मोर्चा के इन पदों का अनुभव और पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बयानों से स्पष्ट होता है। कि भाजपा विधानसभा की प्रमुख सीटों पर इस बार युवा चेहरा सामने लाएगी। वही राजेश वसुनिया का नाम अब तक किसी गुटबाजी में भी शामिल नहीं हुआ है। इसे लेकर भी बाजारों में अटकलें लगाई जा रही है कि हमेशा पार्टी की दूसरी लाइन में शामिल इस युवा को इस विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा दायित्व मिल सकता है। संभव हो और वसुनिया के लिए पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करे तो कांग्रेस का अभेद किला माने जाने वाली इस सीट को भाजपा के पक्ष में भेदन भी जा सकता है।


