सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। थांदला नगर परिषद प्रदेश की उन चुनिंदा नगर परिषदों में शामिल है। जिनमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेशस्तर के जनप्रतिनिधियों और आला अधिकारियों की नजरें बनी रहती है। विभिन्न कारणों के चलते थांदला परिषद प्रदेशस्तरीय चर्चा का भी विषय बनी है। थांदला नगर परिषद ने आजादी के बाद से अब तक विकास की कई गाथा लिखी है। लेकिन फिर नगर में विकास के क्षेत्र में काफी कुछ कार्य होना शेष है। इसलिए आज हम बात करेंगे नवीन परिषद के सामने आने वाली चुनौतियों की।
18 अक्टूबर को थांदला नगर परिषद में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों की ताजपोशी हो चुकी है। नवीन कार्यकाल में अनुभवी नेताओं के साथ जोशीले युवा भी चुने गए हैं। कुल मिलाकर हाल-फिलहाल देखें तो नवीन परिषद प्रारंभिक तौर पर काफी सक्रिय दिख रही है। नवीन परिषद के सामने थांदला नगर के लिए विकास कार्यों की कई चुनौतियां भी रहेगी।
पद्मावती नदी का शुद्धिकरण और गहरीकरण
नगर की जीवनदायिनी मां पद्मावती नदी वर्षों से अपने शुद्धिकरण और गहरीकरण की बाट जोह रही है। उल्लेखनीय है कि यह नदी नगर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को भी पेयजल प्रदान करती है। पिछले कुछ समय से उक्त नदी में नालियों का पानी मिल रहा है। वही नदी के आंचल में अवैध ईंट भट्टों ने घुसपैठ कर ली है। जिससे नदी लगातार प्रदूषित हो रही है। यदि समय पर नदी के गहरीकरण, शुद्धिकरण पर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं जब यह नदी नाला बन जाएगी।

पार्किंग स्थान
नगर का व्यवसाय दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। थांदला विकासखंड के 111 गांव के ग्रामीण थांदला में खरीदी करने आते हैं। यह ग्रामीण अपने चार पहिया और दो पहिया वाहनों को नगर में लाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी समस्या वाहन पार्किंग की आती है। सुव्यवस्थित पार्किंग के अभाव में ग्रामीण नगर के प्रमुख चौराहों, गलियों में अपने वाहन पार्किंग कर देते हैं। ऐसी स्थिति में विवाद भी हो रहे हैं। इन विवादों से ग्रामीण और शहरी नागरिक दोनों ही परेशान हो रहे हैं। नवीन परिषद को प्रतिदिन शहर में आने वाले हजारों वाहनों के लिए सुव्यवस्थित पार्किंग स्थानों का चयन करना होगा। सुव्यवस्थित पार्किंग से नागरिकों का आवागमन बाधित नहीं होगा। वही परिषद की आय भी बढ़ेगी।

आवारा मवेशी
थांदला नगर की प्रमुख समस्याओं में से एक आवारा मवेशियों की समस्या अब नगर के लिए नासूर बनती जा रही है। आवारा मवेशी दिन-ब-दिन अपना आतंक नगर में फैला रहे हैं। नगर की प्रमुख सड़कों पर आवारा मवेशियों के कुश्ती के नजारे आम हो चुके हैं। वहीं अब तक आवारा मवेशियों ने कई नागरिकों को घायल कर दिया है। नवीन परिषद को आवारा मवेशियों की इस विकराल समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

साप्ताहिक हाट बाजार का स्थान परिवर्तन
प्रति मंगलवार को थांदला नगर में साप्ताहिक हाट बाजार लगता है। इस हाट बाजार में हजारों की संख्या में ग्रामीण खरीदी करने आते हैं। वही बड़ी संख्या में फुटकर व्यापारी भी अपना व्यवसाय करते हैं। वर्तमान में हाट बाजार मुख्य रूप से सब्जी मंडी से अस्पताल चौराहे पर लग रहा है। अंचल के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल के आंगन में हाट बाजार लगने से पल-पल ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। कई बार इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है। मरीजों और आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नगर परिषद को हाट बाजार का स्थान परिवर्तन करना चाहिए। साथ ही हाट बाजार में नगर और बाहर से आने वाले व्यापारियों को पूरी व्यवस्था देते हुए बाजार लगवाना चाहिए।
अतिक्रमण
थांदला नगर में अतिक्रमण की वजह से आवागमन बाधित हो रहा है। मुख्य रूप से अंतरप्रांतीय राजमार्ग और नगर के 4 किलोमीटर लंबे एमजी रोड पर अतिक्रमण बेतरतीब रूप से बढ़ गया है। इस अतिक्रमण के कारण अंतरप्रांतीय राज्य मार्ग पर चलने वाले वाहनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वही नगर के वाहन चालक भी उक्त रोड से तंग आ चुके हैं। परिषद को उक्त 4 किलोमीटर लंबे मार्ग पर सख्ती के साथ अतिक्रमण हटाओ मुहिम चालनी पड़ेगी।

हॉकर्स ज़ोन
थांदला नगर में बड़ी संख्या में हाथ ठेला व्यवसायी अपना व्यवसाय कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से होटल, सब्जी, फल, कटलरी सामान, जूते चप्पल, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि शामिल है। हॉकर्स ज़ोन के अभाव में यहां हाथ ठेला व्यवसायी दर-दर घूमते रहते हैं। वर्तमान परिषद के सामने इन सैकड़ो हाथ ठेला व्यवसायियों के लिए हॉकर्स ज़ोन बनाना बहुत जरूरी हो गया है। परिषद इन व्यापारियों को पुरानी मंडी, नवीन मंडी, दीपमालिका चौराहे आदि क्षेत्रों में सुव्यवस्थित हॉकर्स जोन बनाकर व्यवसाय को बड़े शहरों की तर्ज पर डायवर्ड भी कर सकती है।

ऐतिहासिक धरोहरो का रखरखाव
संत नगरी थांदला में ऐतिहासिक महत्व की कई धरोहर हैं। नगर परिषद को ऐतिहासिक स्थल के रूप में इन धरोहरों को सहेजना होगा। ताकि आने वाली पीढ़ी धरोहरो का महत्व समझ सके। वही इन धरोहरों से नगर को पूरे प्रदेश ही नहीं देश में एक पहचान मिल सके।
सुव्यवस्थित बस स्टैंड
थांदला नगर में बस स्टैंड समय के साथ परिवर्तित होता है। सुनने में अजीब है। पर हकीकत यही है। अल सुबह थांदला नगर में बस स्टैंड अस्थाई रूप से पीपली चौराहे पर लगता है। सुबह 8:00 बजे से 10:00 बजे तक यह बस स्टैंड पुराने कांग्रेस कार्यालय चौराहे पर चला जाता है। सुबह 10:00 बजे के बाद से शाम 6:00 बजे तक यह बस स्टैंड मुख्य बस स्टैंड पर लग जाता है। शाम होते-होते फिर से बस स्टैंड परिवर्तित होते हुए अपने पुराने स्थानों पर आ जाता है। लंबे समय से नगर को एक सुव्यवस्थित बस स्टैंड की दरकार है। परिषद को इस पर भी प्रमुखता से ध्यान देना चाहिए।
इसके अलावा नगर में सौंदर्यकरण, उद्यान निर्माण, बंद पड़े उद्यान को शुरू करने का कार्य, नगर की विभिन्न कालोनियों में सड़क निर्माण, विद्युत व्यवस्था, नगर के मुख्य मार्गों पर विद्युत रोशनी हेतु पर्याप्त व्यवस्था, मटन और मछली मार्केट का स्थान परिवर्तन करने जैसे कई कार्यों को करने की चुनौती रहेगी। अब आने वाले यह 5 साल बताएंगे की वर्तमान नगर परिषद नागरिकों के भरोसे पर कितना खराब उतरी है।


