सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। आम नागरिकों की जिंदगी रोशन करने वाले कर्मचारियों की जिंदगी में कब अंधेरा हो जाए कुछ कहा नही जा सकता। क्योकि मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के लिए विद्युत विभाग के पास पैसे है। लेकिन इन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए शायद कोई फंड विभाग के पास नही है। तभी तो यह कर्मचारी बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के जिंदगी और मौत के बीच झूलते तारो पर माथापच्ची करते हुए आम नागरिकों की जिंदगी रोशन करने में लगे है। ऐसे मामले में जितनी गलती विभाग के ऑफिस के अंदर चेयर पर बैठे अधिकारियों की है। उतनी ही गलती जोखिम भरी फील्ड पर पर्याप्त सुरक्षा के बिना काम करने वाले इन कर्मचारियों की भी प्रतीत हो रही है। क्योंकि सामान्य तौर पर छोटी छोटी मांगो के लिए हड़ताल करने वाले कर्मचारी सुरक्षा उपकरणों की जायज मांग के लिए भी काम बंद कर सकते थे।

एक माह पूर्व हुआ था भयानक हादसा
परमिट में कैसे हुई चूक
थांदला में 1 माह पूर्व ही विद्युत विभाग की लापरवाही से जबरदस्त हादसा हुआ है। ग्राम पंचायत खोकरखानदन के युवक मड़िया भीमला बेहरा कार्य के दौरान विद्युत करंट लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। फिलहाल वह जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रहा हैं। परिवार इलाज के लिए उन्हें समीपस्थ राज्य गुजरात के दाहोद, वडोदरा के बड़े-बड़े निजी अस्पतालों में भी ले जा चुका है। लेकिन वर्तमान में भी स्थिति नाजुक बनी हुई है। परिजन थक हारकर चिकित्सकों की सलाह पर मड़िया को गांव ले आए हैं। लेकिन भयानक पीड़ा से जूझ रहे मड़िया बताते हैं कि वह एक निजी कंपनी के जरिए विद्युत विभाग के मेंटेनेंस कार्य में लगे थे। नौगांवा नदी के समीप बनी डीपी पर वह ‘कंट्री बांधने’ (तकनीकी कार्य) के लिए विद्युत पोल पर चढ़े थे। इस दौरान उन्हें जबरदस्त करंट लग गया। मडिया ने बताया कि विद्युत मेंटेनेंस करने के पूर्व विभाग द्वारा परमिट लिया जाता है। मौके पर मौजूद संबंधित विभाग के स्थाई कर्मचारी ने मड़िया को बताया कि उन्होंने परमिट ले लिया है। और मडिया विद्युत के खंभे पर चढ़ गया। पूरा मामला जांच में चल रहा है। मामले में विद्युत विभाग के दो कर्मचारियों के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने थाने शिकायत दर्ज करवाई है। जिस पर जांच चल रही है। लेकिन पूरा ही मामला जांच का विषय है। की मेंटेनेंस कार्य करने के पूर्व लिए जाने वाले परमिट में आखिर कैसे चूक हो गई। जांच का विषय यह भी है कि निजी कंपनी ‘बेसिल’ ने अपने उक्त कर्मचारी का बीमा करवाया था या नहीं। जांच का विषय यह भी है कि यदि मौके पर मौजूद बिजली विभाग के कर्मचारी द्वारा परमिट लिया गया था। तो उक्त तारों में करंट कैसे दौड़ा।


