सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
“पहला सुख निरोगी काया” इसे हम सभी जानते हैं, लेकिन महत्व नहीं देते हैं। हमारे पास भौतिक सुख साधन हो, लेकिन यदि शरीर स्वस्थ नहीं है। तो हम उसका आनंद नहीं ले सकते हैं। स्वस्थ शरीर के लिए योग सर्वोपरि है। योग आत्मा और परमात्मा का मिलन है। योग के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए योग के अष्टांग सूत्र से बेहतर माध्यम कोई नहीं है। भोजन से जरूरी हमारे लिए प्राण वायु है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
उपरोक्त वक्तव्य शासकीय महाविद्यालय थांदला में “योग एवं स्वास्थ्य का अंतर्संबंध” विषय पर आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. पीयूष जैन, राष्ट्रीय सचिव पेफी नई दिल्ली ने अपने व्याख्यान में व्यक्त किये।
वेबीनार का प्रारंभ संगठन सचिव एवं आइक्यूएसी प्रभारी डॉ. पीटर डोडियार के स्वागत भाषण से हुआ। अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा इंदौर संभाग डॉ. किरण बाला सलूजा ने वेबीनार के लिए अपनी शुभकामनाएं व बधाई दी। प्रभारी प्राचार्य डॉ जी.सी. मेहता ने प्राचार्य उद्बोधन दिया। वेबीनार के संयोजक प्रोफेसर मनोहर सोलंकी ने विषय विशेषज्ञों का संक्षिप्त परिचय दिया। दूसरे विषय विशेषज्ञ के रूप में शारीरिक क्रीडा विज्ञान इंदिरा गांधी संस्थान शारीरिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ.त्रिभुवन रामनारायण ने बताया कि योग हर भारतीयों की रग रग में है। वर्तमान समय में स्वस्थ रहने के लिए योग का महत्व सभी जानते हैं, योग का उद्देश्य है- हेल्थ, फिटनेस, वैलनेस और एनर्जी को प्राप्त करना। डॉ.त्रिभुवन ने इन चारों बिंदुओं का सरल,सहज, उपयोगी एवं अनुकरणीय व्याख्यान उदाहरण सहित दिया। वेबीनार में एमजीएम साइंस कॉलेज भोपाल के पूर्व प्राचार्य, जो वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय अलीराजपुर में भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक हैं। उन्होंने सूर्य नमस्कार,सूर्य स्नान, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग इत्यादि को वैज्ञानिक तथ्यों के माध्यम से बेहतर ढंग से बताया। उन्होंने बताया कि योग बाह्य रूप से फिट करने के साथ ही आंतरिक रूप से आनंदित करता है। वेबीनार में घनश्याम राठी, काजल एवं दीपक, मारिया शाजापुरवाला, साहिल डाहिया, डॉ. राकेश चौरे आदि ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। वेबीनार के सह-संयोजक प्रो. विजय मावी एवं विभिन्न समितियां के अंतर्गत डॉ . छगन वसुनिया, प्रो. हिमांशु मालवीय,डॉ.जी.डी. भालसे, प्रो. रितु सिंह राठौड़ सहित समस्त स्टाफ का विशेष सहयोग रहा।
वेबीनार में लगभग 85 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। वेबीनार का संचालन डॉ मीना मावी ने तथा आभार प्रो. एस. एस. मुवेल ने माना।


